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Thursday, March 16, 2017

EXCELLENT MESSAGE

EXCELLENT MESSAGE🙏🏻🙏🏻
*|||||||| "ये ही सत्य हैं" |||||*

*Qus→   जीवन का उद्देश्य क्या है ?*
Ans→  जीवन का उद्देश्य उसी चेतना को जानना है - जो जन्म और मरण के बन्धन से मुक्त है। उसे जानना ही मोक्ष है..!!
*Qus→  जन्म और मरण के बन्धन से मुक्त कौन है ?*
Ans→  जिसने स्वयं को, उस आत्मा को जान लिया - वह जन्म और मरण के बन्धन से मुक्त है..!!
*Qus→  संसार में दुःख क्यों है ?*
Ans→  लालच, स्वार्थ और भय ही संसार के दुःख का मुख्य कारण हैं..!!
*Qus→  ईश्वर ने दुःख की रचना क्यों की ?*
Ans→  ईश्वर ने संसारकी रचना की और मनुष्य ने अपने विचार और कर्मों से दुःख और सुख की रचना की..!!
*Qus→  क्या ईश्वर है ? कौन है वे ? क्या रुप है उनका ? क्या वह स्त्री है या पुरुष ?*
Ans→   कारण के बिना कार्य नहीं। यह संसार उस कारण के अस्तित्व का प्रमाण है। तुम हो, इसलिए वे भी है - उस महान कारण को ही आध्यात्म में 'ईश्वर' कहा गया है। वह न स्त्री है और ना ही पुरुष..!!
*Qus→   भाग्य क्या है ?*
Ans→  हर क्रिया, हर कार्य का एक परिणाम है। परिणाम अच्छा भी हो सकता है, बुरा भी हो सकता है। यह परिणाम ही भाग्य है तथा आज का प्रयत्न ही कल का भाग्य है..!!
*Qus→   इस जगत में सबसे बड़ा आश्चर्य क्या है ?*
Ans→   रोज़ हजारों-लाखों लोग मरते हैं और उसे सभी देखते भी हैं, फिर भी सभी को अनंत-काल तक जीते रहने की इच्छा होती है..इससे बड़ा आश्चर्य ओर क्या हो सकता है..!!
*Qus→   किस चीज को गंवाकर मनुष्यधनी बनता है ?*
Ans→   लोभ..!!
*Qus→   कौन सा एकमात्र उपाय है जिससे जीवन सुखी हो जाता है?*
Ans →   अच्छा स्वभाव ही सुखी होने का उपाय है..!!
*Qus →   किस चीज़ के खो जानेपर दुःख नहीं होता ?*
Ans →   क्रोध..!!
*Qus→   धर्म से बढ़कर संसार में और क्या है ?*
Ans →   दया..!!
*Qus→   क्या चीज़ दुसरो को नहीं देनी चाहिए ?*
Ans→   तकलीफें, धोखा..!!
*Qus→   क्या चीज़ है, जो दूसरों से कभी भी नहीं लेनी चाहिए ?*
Ans→   इज़्ज़त, किसी की हाय..!! 
*Qus→   ऐसी चीज़ जो जीवों से सब कुछ करवा सकती है?*
Ans→   मज़बूरी..!!🌸
*Qus→   दुनियां की अपराजित चीज़ ?*
Ans→  सत्य..!!
*Qus→ दुनियां में सबसे ज़्यादा बिकने वाली चीज़ ?*
Ans→   झूठ..!!💜
*Qus→   करने लायक सुकून काकार्य ?*
Ans→ परोपकार..!!🌸
*Qus→   दुनियां की सबसे बुरी लत ?*
Ans→ मोह..!!💝
*Qus→   दुनियां का स्वर्णिम स्वप्न ?*
Ans→   जिंदगी..!!🍀
*Qus→   दुनियां की अपरिवर्तनशील चीज़ ?*
Ans→   मौत..!!💜
*Qus→   ऐसी चीज़ जो स्वयं के भी समझ ना आये ?*
Ans→   अपनी मूर्खता..!!🌸
*Qus→   दुनियां में कभी भी नष्ट/ नश्वर न होने वाली चीज़ ?*
Ans→   आत्मा और ज्ञान..!!💝
*Qus→   कभी न थमने वाली चीज़ ?*
Ans→   समय..
🙏🙏🙏🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻

Tuesday, March 14, 2017

POWER OF POSITIVE THOUGHT

*मै फ़ुल गारन्टी लेता हूँ।आज इस पोस्ट को पढ़कर सारी ज़िन्दगी की टेंशन खत्म हो जायेगी*।

*बस धैर्य ओर शांति से पढ़े*।

*POWER OF POSITIVE THOUGHT*

*एक व्यक्ति काफी दिनों से चिंतित चल रहा था जिसके कारण वह काफी चिड़चिड़ा तथा तनाव में रहने लगा था। वह इस बात से परेशान था कि घर के सारे खर्चे उसे ही उठाने पड़ते हैं, पूरे परिवार की जिम्मेदारी उसी के ऊपर है, किसी ना किसी रिश्तेदार का उसके यहाँ आना जाना लगा ही रहता है, उसे बहुत ज्यादा INCOME TAX देना पड़ता है आदि - आदि*।

*इन्ही बातों को सोच सोच कर वह काफी परेशान रहता था तथा बच्चों को अक्सर डांट देता था तथा अपनी पत्नी से भी ज्यादातर उसका किसी न किसी बात पर झगड़ा चलता रहता था*।

*एक दिन उसका बेटा उसके पास आया और बोला पिताजी मेरा स्कूल का होमवर्क करा दीजिये, वह व्यक्ति पहले से ही तनाव में था तो उसने बेटे को डांट कर भगा दिया लेकिन जब थोड़ी देर बाद उसका गुस्सा शांत हुआ तो वह बेटे के पास गया तो देखा कि बेटा सोया हुआ है और उसके हाथ में उसके होमवर्क की कॉपी है। उसने कॉपी लेकर देखी और जैसे ही उसने कॉपी नीचे रखनी चाही, उसकी नजर होमवर्क के टाइटल पर पड़ी*।

*होमवर्क का टाइटल था* *********************

*वे चीजें जो हमें शुरू में अच्छी नहीं लगतीं लेकिन बाद में वे अच्छी ही होती हैं*।

*इस टाइटल पर बच्चे को एक पैराग्राफ लिखना था जो उसने लिख लिया था। उत्सुकतावश उसने बच्चे का लिखा पढना शुरू किया बच्चे ने लिखा था* •••

● *मैं अपने फाइनल एग्जाम को बहुंत धन्यवाद् देता हूँ क्योंकि शुरू में तो ये बिलकुल अच्छे नहीं लगते लेकिन इनके बाद स्कूल की छुट्टियाँ पड़ जाती हैं*।

● *मैं ख़राब स्वाद वाली कड़वी दवाइयों को बहुत धन्यवाद् देता हूँ क्योंकि शुरू में तो ये कड़वी लगती हैं लेकिन ये मुझे बीमारी से ठीक करती हैं*।

● *मैं सुबह - सुबह जगाने वाली उस अलार्म घड़ी को बहुत धन्यवाद् देता हूँ जो मुझे हर सुबह बताती है कि मैं जीवित हूँ*।

● *मैं ईश्वर को भी बहुत धन्यवाद देता हूँ जिसने मुझे इतने अच्छे पिता दिए क्योंकि उनकी डांट मुझे शुरू में तो बहुत बुरी लगती है लेकिन वो मेरे लिए खिलौने लाते हैं, मुझे घुमाने ले जाते हैं और मुझे अच्छी अच्छी चीजें खिलाते हैं और मुझे इस बात की ख़ुशी है कि मेरे पास पिता हैं क्योंकि मेरे दोस्त सोहन के तो पिता ही नहीं हैं*।

*बच्चे का होमवर्क पढने के बाद वह व्यक्ति जैसे अचानक नींद से जाग गया हो। उसकी सोच बदल सी गयी। बच्चे की लिखी बातें उसके दिमाग में बार बार घूम रही थी। खासकर वह last वाली लाइन। उसकी नींद उड़ गयी थी। फिर वह व्यक्ति थोडा शांत होकर बैठा और उसने अपनी परेशानियों के बारे में सोचना शुरू किया*।

●● *मुझे घर के सारे खर्चे उठाने पड़ते हैं, इसका मतलब है कि मेरे पास घर है और ईश्वर की कृपा से मैं उन लोगों से बेहतर स्थिति में हूँ जिनके पास घर नहीं है*।

●● *मुझे पूरे परिवार की जिम्मेदारी उठानी पड़ती है, इसका मतलब है कि मेरा परिवार है, बीवी बच्चे हैं और ईश्वर की कृपा से मैं उन लोगों से ज्यादा खुशनसीब हूँ जिनके पास परिवार नहीं हैं और वो दुनियाँ में बिल्कुल अकेले हैं*।

●● *मेरे यहाँ कोई ना कोई मित्र या रिश्तेदार आता जाता रहता है, इसका मतलब है कि मेरी एक सामाजिक हैसियत है और मेरे पास मेरे सुख दुःख में साथ देने वाले लोग हैं*।

●● *मैं बहुत ज्यादा INCOME TAX भरता हूँ, इसका मतलब है कि मेरे पास अच्छी नौकरी/व्यापार है और मैं उन लोगों से बेहतर हूँ जो बेरोजगार हैं या पैसों की वजह से बहुत सी चीजों और सुविधाओं से वंचित हैं*।

*हे ! मेरे भगवान् ! तेरा बहुंत बहुंत शुक्रिया ••• मुझे माफ़ करना, मैं तेरी कृपा को पहचान नहीं पाया।*

_*इसके बाद उसकी सोच एकदम से बदल गयी, उसकी सारी परेशानी, सारी चिंता एक दम से जैसे ख़त्म हो गयी। वह एकदम से बदल सा गया। वह भागकर अपने बेटे के पास गया और सोते हुए बेटे को गोद में उठाकर उसके माथे को चूमने लगा और अपने बेटे को तथा ईश्वर को धन्यवाद देने लगा*।_

*हमारे सामने जो भी परेशानियाँ हैं, हम जब तक उनको नकारात्मक नज़रिये से देखते रहेंगे तब तक हम परेशानियों से घिरे रहेंगे लेकिन जैसे ही हम उन्हीं चीजों को, उन्ही परिस्तिथियों को सकारात्मक नज़रिये से देखेंगे, हमारी सोच एकदम से बदल जाएगी, हमारी सारी चिंताएं, सारी परेशानियाँ, सारे तनाव एक दम से ख़त्म हो जायेंगे और हमें मुश्किलों से निकलने के नए - नए रास्ते दिखाई देने लगेंगे।*
💐💐

*अगर आपको अज्ञात व्यक्ति की लिखी हुई यह बात अच्छी लगे तो इसका अनुकरण करके जिन्दगीको खुशहाल बनाइये*.🌺🌻🌹🌷🌼🌸🍁💐🍄

शबरी के पैरों की धूल

((((((((( शबरी के पैरों की धूल )))))))))
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शबरी एक आदिवासी भील की पुत्री थी। देखने में बहुत साधारण, पर दिल से बहुत कोमल थी।
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इनके पिता ने इनका विवाह निश्चित किया, लेकिन आदिवासियों की एक प्रथा थी की किसी भी अच्छे कार्य से पहले निर्दोष जानवरों की बलि दी जाती थी।
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इसी प्रथा को पूरा करने के लिये इनके पिता शबरी के विवाह के एक दिन पूर्व सौ भेड़ बकरियाँ लेकर आये।
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तब शबरी ने पिता से पूछा – पिताजी इतनी सारी भेड़ बकरियाँ क्यूँ लाये ?
.
पिता ने कहा – शबरी यह एक प्रथा है जिसके अनुसार कल प्रातः तुम्हारी विवाह की विधि शुरू करने से पूर्व इन सभी भेड़ बकरियों की बलि दी जायेगी। यह कहकर उसके पिता वहाँ से चले जाते हैं।
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प्रथा के बारे में सुन शबरी को बहुत दुःख होता है और वो पूरी रात उन भेड़ बकरियों के पास बैठी रही और उनसे बाते करती रही। उसके मन में एक ही विचार था कि कैसे वो इन निर्दोष जानवरों को बचा पाये।
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तब ही एकाएक शबरी के मन में ख्याल आता है और वो सुबह होने से पूर्व ही अपने घर से भाग कर जंगल चली गई जिससे वो उन निर्दोष जानवरों को बचा सके।
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शबरी भली भांति जानती थी, अगर एक बार वो इस तरह से घर से जायेगी तो कभी उसे घर वापस आने का मौका नहीं मिलेगा फिर भी शबरी ने खुद से पहले उन निर्दोषों की सोची।
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घर से निकल कर शबरी एक घने जंगल में जा पहुँची। अकेली शबरी जंगल में भटक रही थी तब उसने शिक्षा प्राप्ति के उद्देश्य से कई गुरुवरों के आश्रम में दस्तक दी, लेकिन शबरी तुच्छ जाति की थी इसलिये उसे सभी ने धुत्कार के निकाल दिया।
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शबरी भटकती हुई मतंग ऋषि के आश्रम पहुंची और उसने अपनी शिक्षा प्राप्ति की इच्छा व्यक्त की। मतंग ऋषि ने शबरी को सहर्ष अपने गुरुकुल में स्थान दे दिया।
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अन्य सभी ऋषियों ने मतंग ऋषि का तिरस्कार किया लेकिन मतंग ऋषि ने शबरी को अपने आश्रम में स्थान दिया।
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शबरी ने गुरुकुल के सभी आचरणों को आसानी से अपना लिया और दिन रात अपने गुरु की सेवा में लग गई।
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शबरी जतन से शिक्षा ग्रहण करने के साथ- साथ आश्रम की सफाई, गौ शाला की देख रेख, दूध दोहने के कार्य के साथ सभी गुरुकूल के वासियों के लिये भोजन बनाने के कार्य में लग गई। कई वर्ष बीत गये, मतंग ऋषि शबरी की गुरु भक्ति से बहुत प्रसन्न थे।
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मतंग ऋषि का शरीर दुर्बल हो चूका था इसलिये उन्होंने एक दिन शबरी को अपने पास बुलाया और कहा- पुत्री मेरा शरीर अब दुर्बल हो चूका है, इसलिये मैं अपनी देह यहीं छोड़ना चाहता हूँ, लेकिन उससे पहले मैं तुम्हे आशीर्वाद देना चाहता हूँ बोलो पुत्री तुम्हे क्या चाहिये ?
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आँखों में आसूं भरकर शबरी मतंग ऋषि से कहती है – हे गुरुवर आप ही मेरे पिता है, मैं आपके कारण ही जीवित हूँ, आप मुझे अपने साथ ही ले जाये।
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तब मतंग ऋषि ने कहा- नहीं पुत्री तुम्हे मेरे बाद मेरे इस आश्रम का ध्यान रखना है। तुम जैसी गुरु परायण शिष्या को उसके कर्मो का उचित फल मिलेगा।
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एक दिन भगवान राम तुम से मिलने यहाँ आयेंगे और उस दिन तुम्हारा उद्धार होगा और तुम्हे मोक्ष की प्राप्ति होगी। इतना कहकर मतंग ऋषि अपनी देह त्याग कर समाधि ले लेते हैं।
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उसी दिन से शबरी हर रोज प्रातः उठकर बाग़ जाती, ढेर सारे फल इकठ्ठा करती, सुंदर- सुंदर फूलों से अपना आश्रम सजाती क्यूंकि उसे भगवान राम के आने का कोई निश्चित दिन नहीं पता था, उसे केवल अपने गुरुवर की बात पर यकीन था इसलिये वो रोज श्री राम के इंतजार में समय बिता रही थी। वो रोजाना यही कार्य करती थी।
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एक दिन शबरी आश्रम के पास के तालाब में जल लेने गई, वहीँ पास में एक ऋषि तपस्या में लीन थे। जब उन्होंने शबरी को जल लेते देखा तो उसे अछूत कहकर उस पर एक पत्थर फेंक कर मारा और उसकी चोट से बहते रक्त की एक बूंद से तालाब का सारा पानी रक्त में बदल गया.
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यह देखकर संत शबरी को बुरा भला और पापी कहकर चिल्लाने लगा। शबरी रोती हुई अपने आश्रम में चली गई।
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उसके जाने के बाद  ऋषि फिर से तप करने लगा उसने बहुत से जतन किये लेकिन वो तालाब में भरे रक्त को जल नहीं बना पाया। उसमे गंगा, यमुना सभी पवित्र नदियों का जल डाला गया लेकिन रक्त जल में नहीं बदला।
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कई वर्षों बाद, जब भगवान राम सीता की खोज में वहां आये तब वहाँ के लोगो ने भगवान राम को बुलाया और आग्रह किया कि वे अपने चरणों के स्पर्श से इस तालाब के रक्त को पुनः जल में बदल दें।
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राम उनकी बात सुनकर तालाब के रक्त को चरणों से स्पर्श करते हैं लेकिन कुछ नहीं होता। ऋषि उन्हें जो- जो करने बोलते हैं, वे सभी करते हैं लेकिन रक्त जल में नही बदला।
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तब राम ऋषि से पूछते हैं – हे ऋषिवर मुझे इस तालाब का इतिहास बताये। तब ऋषि उन्हें शबरी और तालाब की पूरी कथा बताते हैं और कहते हैं - हे भगवान यह जल उसी शुद्र शबरी के कारण अपवित्र हुआ है।
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तब भगवान राम दुखी होकर कहा - हे गुरुवर, यह रक्त उस देवी शबरी का नही मेरे ह्रदय का है जिसे तुमने अपने अप शब्दों से घायल किया है.
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भगवान राम ऋषि से आग्रह करते हैं कि मुझे देवी शबरी से मिलना है। तब शबरी को बुलावा भेजा जाता है। राम का नाम सुनते ही शबरी दौड़ी चली आती हैं।
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'राम मेरे प्रभु' कहती हुई जब वो तालाब के समीप पहुँचती है तब उसके पैर की धूल तालाब में चली जाती है और तालाब का सारा रक्त जल में बदल जाता है।
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तब भगवान राम कहते हैं - देखिये गुरुवर आपके कहने पर मैंने सब किया लेकिन यह रक्त भक्त शबरी के पैरों की धूल से जल में बदल गया।
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शबरी जैसे ही भगवान राम को देखती हैं उनके चरणों को पकड़ लेती हैं और अपने साथ आश्रम लाती हैं। उस दिन भी शबरी रोज की तरह सुबह से अपना आश्रम फूलों से सजाती हैं और बाग़ से चख- चख कर सबसे मीठे बेर अपने प्रभु राम के लिये चुनती हैं।
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वो पुरे उत्साह के साथ अपने प्रभु राम का स्वागत करती हैं और बड़े प्रेम से उन्हें अपने जूठे बेर परौसती हैं। भगवान राम भी बहुत प्रेम से उसे खाने उठाते हैं,
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तब उनके साथ गये लक्ष्मण उन्हें रोककर कहते हैं – भ्राता ये बेर जूठे हैं। तब राम कहते हैं – लक्ष्मण यह बेर जूठे नहीं सबसे मीठे हैं, क्यूंकि इनमे प्रेम हैं और वे बहुत प्रेम से उन बेरों को खाते हैं।
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मतंग ऋषि का कथन सत्य होता है और देवी शबरी को मोक्ष की प्राप्ति होती है। और इस तरह भगवान राम, शबरी के राम कहलाये।
Bhakti Kathayen भक्ति कथायें...
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  (((((((((( जय जय श्री राधे ))))))))))
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The story of watermelons by Manohar Parrikar:

The story of watermelons by Manohar Parrikar:

"I am from the village of Parra in Goa, hence we are called Parrikars. My village is famous for its watermelons. When I was a child, the farmers would organise a watermelon-eating contest at the end of the harvest season in May.

All the kids would be invited to eat as many watermelons as they wanted. Years later, I went to IIT Mumbai to study engineering. I went back to my village after 6.5 years.

I went to the market looking for watermelons. They were all gone. The ones that were there were so small.

I went to see the farmer who hosted the watermelon-eating contest. His son had taken over. He would host the contest but there was a difference.

When the older farmer gave us watermelons to eat he would ask us to spit out the seeds into a bowl. We were told not to bite into the seeds.

He was collecting the seeds for his next crop. We were unpaid child labourers, actually. He kept his best watermelons for the contest and he got the best seeds which would yield even bigger watermelons the next year.

His son, when he took over, realised that the larger watermelons would fetch more money in the market so he sold the larger ones and kept the smaller ones for the contest.

The next year, the watermelons were smaller, the year later even small. In watermelons the generation is one year. In seven years, Parra's best watermelons were finished. In humans, generations change after 25 years. It will take us 200 years to figure what we were doing wrong while educating our children."

Unless we employ our best to train the next generation, this is what can happen to us. We must attract the best into teaching profession".

Great story indeed! Each one of us are responsible to offer our best culture to next generation!

The whole world is looking to India as a Spiritual Leader.

Unfortunately, hardly few are aware of the great heritage we have carried!

If we don't pass on right things to next generation, they will be misguided.

Tuesday, March 7, 2017

शबरी के पैरों की धूल

((((((((( शबरी के पैरों की धूल )))))))))
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शबरी एक आदिवासी भील की पुत्री थी। देखने में बहुत साधारण, पर दिल से बहुत कोमल थी।
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इनके पिता ने इनका विवाह निश्चित किया, लेकिन आदिवासियों की एक प्रथा थी की किसी भी अच्छे कार्य से पहले निर्दोष जानवरों की बलि दी जाती थी।
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इसी प्रथा को पूरा करने के लिये इनके पिता शबरी के विवाह के एक दिन पूर्व सौ भेड़ बकरियाँ लेकर आये।
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तब शबरी ने पिता से पूछा – पिताजी इतनी सारी भेड़ बकरियाँ क्यूँ लाये ?
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पिता ने कहा – शबरी यह एक प्रथा है जिसके अनुसार कल प्रातः तुम्हारी विवाह की विधि शुरू करने से पूर्व इन सभी भेड़ बकरियों की बलि दी जायेगी। यह कहकर उसके पिता वहाँ से चले जाते हैं।
.
प्रथा के बारे में सुन शबरी को बहुत दुःख होता है और वो पूरी रात उन भेड़ बकरियों के पास बैठी रही और उनसे बाते करती रही। उसके मन में एक ही विचार था कि कैसे वो इन निर्दोष जानवरों को बचा पाये।
.
तब ही एकाएक शबरी के मन में ख्याल आता है और वो सुबह होने से पूर्व ही अपने घर से भाग कर जंगल चली गई जिससे वो उन निर्दोष जानवरों को बचा सके।
.
शबरी भली भांति जानती थी, अगर एक बार वो इस तरह से घर से जायेगी तो कभी उसे घर वापस आने का मौका नहीं मिलेगा फिर भी शबरी ने खुद से पहले उन निर्दोषों की सोची।
.
घर से निकल कर शबरी एक घने जंगल में जा पहुँची। अकेली शबरी जंगल में भटक रही थी तब उसने शिक्षा प्राप्ति के उद्देश्य से कई गुरुवरों के आश्रम में दस्तक दी, लेकिन शबरी तुच्छ जाति की थी इसलिये उसे सभी ने धुत्कार के निकाल दिया।
.
शबरी भटकती हुई मतंग ऋषि के आश्रम पहुंची और उसने अपनी शिक्षा प्राप्ति की इच्छा व्यक्त की। मतंग ऋषि ने शबरी को सहर्ष अपने गुरुकुल में स्थान दे दिया।
.
अन्य सभी ऋषियों ने मतंग ऋषि का तिरस्कार किया लेकिन मतंग ऋषि ने शबरी को अपने आश्रम में स्थान दिया।
.
शबरी ने गुरुकुल के सभी आचरणों को आसानी से अपना लिया और दिन रात अपने गुरु की सेवा में लग गई।
.
शबरी जतन से शिक्षा ग्रहण करने के साथ- साथ आश्रम की सफाई, गौ शाला की देख रेख, दूध दोहने के कार्य के साथ सभी गुरुकूल के वासियों के लिये भोजन बनाने के कार्य में लग गई। कई वर्ष बीत गये, मतंग ऋषि शबरी की गुरु भक्ति से बहुत प्रसन्न थे।
.
मतंग ऋषि का शरीर दुर्बल हो चूका था इसलिये उन्होंने एक दिन शबरी को अपने पास बुलाया और कहा- पुत्री मेरा शरीर अब दुर्बल हो चूका है, इसलिये मैं अपनी देह यहीं छोड़ना चाहता हूँ, लेकिन उससे पहले मैं तुम्हे आशीर्वाद देना चाहता हूँ बोलो पुत्री तुम्हे क्या चाहिये ?
.
आँखों में आसूं भरकर शबरी मतंग ऋषि से कहती है – हे गुरुवर आप ही मेरे पिता है, मैं आपके कारण ही जीवित हूँ, आप मुझे अपने साथ ही ले जाये।
.
तब मतंग ऋषि ने कहा- नहीं पुत्री तुम्हे मेरे बाद मेरे इस आश्रम का ध्यान रखना है। तुम जैसी गुरु परायण शिष्या को उसके कर्मो का उचित फल मिलेगा।
.
एक दिन भगवान राम तुम से मिलने यहाँ आयेंगे और उस दिन तुम्हारा उद्धार होगा और तुम्हे मोक्ष की प्राप्ति होगी। इतना कहकर मतंग ऋषि अपनी देह त्याग कर समाधि ले लेते हैं।
.
उसी दिन से शबरी हर रोज प्रातः उठकर बाग़ जाती, ढेर सारे फल इकठ्ठा करती, सुंदर- सुंदर फूलों से अपना आश्रम सजाती क्यूंकि उसे भगवान राम के आने का कोई निश्चित दिन नहीं पता था, उसे केवल अपने गुरुवर की बात पर यकीन था इसलिये वो रोज श्री राम के इंतजार में समय बिता रही थी। वो रोजाना यही कार्य करती थी।
.
एक दिन शबरी आश्रम के पास के तालाब में जल लेने गई, वहीँ पास में एक ऋषि तपस्या में लीन थे। जब उन्होंने शबरी को जल लेते देखा तो उसे अछूत कहकर उस पर एक पत्थर फेंक कर मारा और उसकी चोट से बहते रक्त की एक बूंद से तालाब का सारा पानी रक्त में बदल गया.
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यह देखकर संत शबरी को बुरा भला और पापी कहकर चिल्लाने लगा। शबरी रोती हुई अपने आश्रम में चली गई।
.
उसके जाने के बाद  ऋषि फिर से तप करने लगा उसने बहुत से जतन किये लेकिन वो तालाब में भरे रक्त को जल नहीं बना पाया। उसमे गंगा, यमुना सभी पवित्र नदियों का जल डाला गया लेकिन रक्त जल में नहीं बदला।
.
कई वर्षों बाद, जब भगवान राम सीता की खोज में वहां आये तब वहाँ के लोगो ने भगवान राम को बुलाया और आग्रह किया कि वे अपने चरणों के स्पर्श से इस तालाब के रक्त को पुनः जल में बदल दें।
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राम उनकी बात सुनकर तालाब के रक्त को चरणों से स्पर्श करते हैं लेकिन कुछ नहीं होता। ऋषि उन्हें जो- जो करने बोलते हैं, वे सभी करते हैं लेकिन रक्त जल में नही बदला।
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तब राम ऋषि से पूछते हैं – हे ऋषिवर मुझे इस तालाब का इतिहास बताये। तब ऋषि उन्हें शबरी और तालाब की पूरी कथा बताते हैं और कहते हैं - हे भगवान यह जल उसी शुद्र शबरी के कारण अपवित्र हुआ है।
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तब भगवान राम दुखी होकर कहा - हे गुरुवर, यह रक्त उस देवी शबरी का नही मेरे ह्रदय का है जिसे तुमने अपने अप शब्दों से घायल किया है.
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भगवान राम ऋषि से आग्रह करते हैं कि मुझे देवी शबरी से मिलना है। तब शबरी को बुलावा भेजा जाता है। राम का नाम सुनते ही शबरी दौड़ी चली आती हैं।
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'राम मेरे प्रभु' कहती हुई जब वो तालाब के समीप पहुँचती है तब उसके पैर की धूल तालाब में चली जाती है और तालाब का सारा रक्त जल में बदल जाता है।
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तब भगवान राम कहते हैं - देखिये गुरुवर आपके कहने पर मैंने सब किया लेकिन यह रक्त भक्त शबरी के पैरों की धूल से जल में बदल गया।
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शबरी जैसे ही भगवान राम को देखती हैं उनके चरणों को पकड़ लेती हैं और अपने साथ आश्रम लाती हैं। उस दिन भी शबरी रोज की तरह सुबह से अपना आश्रम फूलों से सजाती हैं और बाग़ से चख- चख कर सबसे मीठे बेर अपने प्रभु राम के लिये चुनती हैं।
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वो पुरे उत्साह के साथ अपने प्रभु राम का स्वागत करती हैं और बड़े प्रेम से उन्हें अपने जूठे बेर परौसती हैं। भगवान राम भी बहुत प्रेम से उसे खाने उठाते हैं,
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तब उनके साथ गये लक्ष्मण उन्हें रोककर कहते हैं – भ्राता ये बेर जूठे हैं। तब राम कहते हैं – लक्ष्मण यह बेर जूठे नहीं सबसे मीठे हैं, क्यूंकि इनमे प्रेम हैं और वे बहुत प्रेम से उन बेरों को खाते हैं।
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मतंग ऋषि का कथन सत्य होता है और देवी शबरी को मोक्ष की प्राप्ति होती है। और इस तरह भगवान राम, शबरी के राम कहलाये।
Bhakti Kathayen भक्ति कथायें...
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  (((((((((( जय जय श्री राधे ))))))))))
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POWER OF POSITIVE THOUGHT

*मै फ़ुल गारन्टी लेता हूँ।आज इस पोस्ट को पढ़कर सारी ज़िन्दगी की टेंशन खत्म हो जायेगी*।

*बस धैर्य ओर शांति से पढ़े*।

*POWER OF POSITIVE THOUGHT*

*एक व्यक्ति काफी दिनों से चिंतित चल रहा था जिसके कारण वह काफी चिड़चिड़ा तथा तनाव में रहने लगा था। वह इस बात से परेशान था कि घर के सारे खर्चे उसे ही उठाने पड़ते हैं, पूरे परिवार की जिम्मेदारी उसी के ऊपर है, किसी ना किसी रिश्तेदार का उसके यहाँ आना जाना लगा ही रहता है, उसे बहुत ज्यादा INCOME TAX देना पड़ता है आदि - आदि*।

*इन्ही बातों को सोच सोच कर वह काफी परेशान रहता था तथा बच्चों को अक्सर डांट देता था तथा अपनी पत्नी से भी ज्यादातर उसका किसी न किसी बात पर झगड़ा चलता रहता था*।

*एक दिन उसका बेटा उसके पास आया और बोला पिताजी मेरा स्कूल का होमवर्क करा दीजिये, वह व्यक्ति पहले से ही तनाव में था तो उसने बेटे को डांट कर भगा दिया लेकिन जब थोड़ी देर बाद उसका गुस्सा शांत हुआ तो वह बेटे के पास गया तो देखा कि बेटा सोया हुआ है और उसके हाथ में उसके होमवर्क की कॉपी है। उसने कॉपी लेकर देखी और जैसे ही उसने कॉपी नीचे रखनी चाही, उसकी नजर होमवर्क के टाइटल पर पड़ी*।

*होमवर्क का टाइटल था* *********************

*वे चीजें जो हमें शुरू में अच्छी नहीं लगतीं लेकिन बाद में वे अच्छी ही होती हैं*।

*इस टाइटल पर बच्चे को एक पैराग्राफ लिखना था जो उसने लिख लिया था। उत्सुकतावश उसने बच्चे का लिखा पढना शुरू किया बच्चे ने लिखा था* •••

● *मैं अपने फाइनल एग्जाम को बहुंत धन्यवाद् देता हूँ क्योंकि शुरू में तो ये बिलकुल अच्छे नहीं लगते लेकिन इनके बाद स्कूल की छुट्टियाँ पड़ जाती हैं*।

● *मैं ख़राब स्वाद वाली कड़वी दवाइयों को बहुत धन्यवाद् देता हूँ क्योंकि शुरू में तो ये कड़वी लगती हैं लेकिन ये मुझे बीमारी से ठीक करती हैं*।

● *मैं सुबह - सुबह जगाने वाली उस अलार्म घड़ी को बहुत धन्यवाद् देता हूँ जो मुझे हर सुबह बताती है कि मैं जीवित हूँ*।

● *मैं ईश्वर को भी बहुत धन्यवाद देता हूँ जिसने मुझे इतने अच्छे पिता दिए क्योंकि उनकी डांट मुझे शुरू में तो बहुत बुरी लगती है लेकिन वो मेरे लिए खिलौने लाते हैं, मुझे घुमाने ले जाते हैं और मुझे अच्छी अच्छी चीजें खिलाते हैं और मुझे इस बात की ख़ुशी है कि मेरे पास पिता हैं क्योंकि मेरे दोस्त सोहन के तो पिता ही नहीं हैं*।

*बच्चे का होमवर्क पढने के बाद वह व्यक्ति जैसे अचानक नींद से जाग गया हो। उसकी सोच बदल सी गयी। बच्चे की लिखी बातें उसके दिमाग में बार बार घूम रही थी। खासकर वह last वाली लाइन। उसकी नींद उड़ गयी थी। फिर वह व्यक्ति थोडा शांत होकर बैठा और उसने अपनी परेशानियों के बारे में सोचना शुरू किया*।

●● *मुझे घर के सारे खर्चे उठाने पड़ते हैं, इसका मतलब है कि मेरे पास घर है और ईश्वर की कृपा से मैं उन लोगों से बेहतर स्थिति में हूँ जिनके पास घर नहीं है*।

●● *मुझे पूरे परिवार की जिम्मेदारी उठानी पड़ती है, इसका मतलब है कि मेरा परिवार है, बीवी बच्चे हैं और ईश्वर की कृपा से मैं उन लोगों से ज्यादा खुशनसीब हूँ जिनके पास परिवार नहीं हैं और वो दुनियाँ में बिल्कुल अकेले हैं*।

●● *मेरे यहाँ कोई ना कोई मित्र या रिश्तेदार आता जाता रहता है, इसका मतलब है कि मेरी एक सामाजिक हैसियत है और मेरे पास मेरे सुख दुःख में साथ देने वाले लोग हैं*।

●● *मैं बहुत ज्यादा INCOME TAX भरता हूँ, इसका मतलब है कि मेरे पास अच्छी नौकरी/व्यापार है और मैं उन लोगों से बेहतर हूँ जो बेरोजगार हैं या पैसों की वजह से बहुत सी चीजों और सुविधाओं से वंचित हैं*।

*हे ! मेरे भगवान् ! तेरा बहुंत बहुंत शुक्रिया ••• मुझे माफ़ करना, मैं तेरी कृपा को पहचान नहीं पाया।*

_*इसके बाद उसकी सोच एकदम से बदल गयी, उसकी सारी परेशानी, सारी चिंता एक दम से जैसे ख़त्म हो गयी। वह एकदम से बदल सा गया। वह भागकर अपने बेटे के पास गया और सोते हुए बेटे को गोद में उठाकर उसके माथे को चूमने लगा और अपने बेटे को तथा ईश्वर को धन्यवाद देने लगा*।_

*हमारे सामने जो भी परेशानियाँ हैं, हम जब तक उनको नकारात्मक नज़रिये से देखते रहेंगे तब तक हम परेशानियों से घिरे रहेंगे लेकिन जैसे ही हम उन्हीं चीजों को, उन्ही परिस्तिथियों को सकारात्मक नज़रिये से देखेंगे, हमारी सोच एकदम से बदल जाएगी, हमारी सारी चिंताएं, सारी परेशानियाँ, सारे तनाव एक दम से ख़त्म हो जायेंगे और हमें मुश्किलों से निकलने के नए - नए रास्ते दिखाई देने लगेंगे।*
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*अगर आपको अज्ञात व्यक्ति की लिखी हुई यह बात अच्छी लगे तो इसका अनुकरण करके जिन्दगीको खुशहाल बनाइये*.🌺🌻🌹🌷🌼🌸🍁💐🍄

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